Rani Madan Amar
अभी नहा धोकर नाश्ता करते हुए कुछ लिखने का मूड बना ही रहा था कि पत्नी की आवाज़ आई, "जल्दी से नाश्ता कर लो, फिर थोड़ा बाजार भी चलना है।"
" ये थोड़ा बाजार क्या होता है, कहाँ होता है, हमने ना तो सुना है ना ही देखा है," मैंने चुटकी लेनी चाही।
"ये कहाँ होता है, कैसा होता है, कब लगता है, कहाँ लगता है, ये जब मेरे साथ घर से बाहर निकलोगे तो सब पता चल जाएगा।" पत्नी की आवाज़ रसोई से आई।
"लेकिन मैं तो कुछ लिखने-लिखाने का प्रोग्राम बना रहा था," मैंने जवाब दिया।
"ये लिखना-लिखाना बाद में, पहले मेरे बाजार चलना है।" पत्नी की आज्ञा सुनाई दी।
"अरे मैडम, तुम्हारे बाजार जाने के काम से पहले मेरा लिखना है"
"क्यों, जरुरी है, बाजार से आके लिख लोगे तो क्या महूर्त टल जाएगा ?"
"नहीं, महूर्त तो नहीं टलेगा मगर बाजार की शोरो-गुल से मेरी सोच जरूर खत्म हो जाएगी।"
"तुम्हारी सोच ?"
"हाँ मेरी सोच।"
"चलो फिर एक बात बताओ।"
"पूछो।"
"रानी -मदन-अमर याद है। "
"हाँ, याद है।"
"वो कैसे याद है ? उसे तो आपने बचपन में पढ़ा था ना, और फिर उसके बाद हज़ारो-लाखों बार बाजार भी हो आए होंगे और फिर भी नहीं भूले।"
"बचपन की चीज़ें कहीं भूली भी जाती हैं।"
"जब बचपन की चीज़ें नहीं भूल सकते तो बाजार आने और जाने में ही आज की बातें कैसे भूल जाओगे। ज्यादा बहाने मत बनाओ और मेरे साथ बाजार चलने के लिए तैयार जाओ।"
"कहना ना होगा की मैडम के तर्क के आगे हमे अपनी लेखनी हत्यार डालना ही पड़ गया।
अभी नहा धोकर नाश्ता करते हुए कुछ लिखने का मूड बना ही रहा था कि पत्नी की आवाज़ आई, "जल्दी से नाश्ता कर लो, फिर थोड़ा बाजार भी चलना है।"
" ये थोड़ा बाजार क्या होता है, कहाँ होता है, हमने ना तो सुना है ना ही देखा है," मैंने चुटकी लेनी चाही।
"ये कहाँ होता है, कैसा होता है, कब लगता है, कहाँ लगता है, ये जब मेरे साथ घर से बाहर निकलोगे तो सब पता चल जाएगा।" पत्नी की आवाज़ रसोई से आई।
"लेकिन मैं तो कुछ लिखने-लिखाने का प्रोग्राम बना रहा था," मैंने जवाब दिया।
"ये लिखना-लिखाना बाद में, पहले मेरे बाजार चलना है।" पत्नी की आज्ञा सुनाई दी।
"अरे मैडम, तुम्हारे बाजार जाने के काम से पहले मेरा लिखना है"
"क्यों, जरुरी है, बाजार से आके लिख लोगे तो क्या महूर्त टल जाएगा ?"
"नहीं, महूर्त तो नहीं टलेगा मगर बाजार की शोरो-गुल से मेरी सोच जरूर खत्म हो जाएगी।"
"तुम्हारी सोच ?"
"हाँ मेरी सोच।"
"चलो फिर एक बात बताओ।"
"पूछो।"
"रानी -मदन-अमर याद है। "
"हाँ, याद है।"
"वो कैसे याद है ? उसे तो आपने बचपन में पढ़ा था ना, और फिर उसके बाद हज़ारो-लाखों बार बाजार भी हो आए होंगे और फिर भी नहीं भूले।"
"बचपन की चीज़ें कहीं भूली भी जाती हैं।"
"जब बचपन की चीज़ें नहीं भूल सकते तो बाजार आने और जाने में ही आज की बातें कैसे भूल जाओगे। ज्यादा बहाने मत बनाओ और मेरे साथ बाजार चलने के लिए तैयार जाओ।"
"कहना ना होगा की मैडम के तर्क के आगे हमे अपनी लेखनी हत्यार डालना ही पड़ गया।
Bahut badia. Kahi se kya rani madan amar ki copy mil sakti hai.
ReplyDeleteBhai mein bhi in book ki talash mein hun bachpan juda hai in kitaabo se
Deletemujhe bhi chahiye pl agar h to
ReplyDeleteCan we get cover photo of Rani Madan Amar
ReplyDeleteबहुत साल से तलाश करता हूं," रानी मदन अमर " और "चलो पाठशाला चलें" बुक कहीं से मिल जाए, या कंप्यूटर पर ही देखने को मिल जाए.. बचपन की यादें इतना तड़पाएगी, सोचा ना था...
ReplyDeleteRani madan amar or aao pathshala chale book mujhe bhi dekhne ko mil jaaye to achha hai bachpan ki bahut yaad aati hai
ReplyDeletePlease hamari ye book dekha do
ReplyDeleteaaj bhi yaad hai rani madan and amar aur hum sab bhai bahan
ReplyDeletehaa mujhe bhi padni he ye books kaha milegi
ReplyDeleteMuje bhi chahiye ye book muje meri mumma ko gift krni h unka bda mn h is book ka please btao kha se milegi ye book ya agr iska name change ho gya ho to wo bhi btado please
DeleteMuje bhi chahiye ye book muje meri mumma ko gift krni h unka bda mn h is book ka please btao kha se milegi ye book ya agr iska name change ho gya ho to wo bhi btado please
ReplyDeleteRemember that in Kindergarten, the book was Rani, Madan, Amar.
ReplyDeleteClass 1 - Chalo paathshaala chalein
Class 2 - Aao hum padhein
Class 3 - Aao padhein aur sochein
Class 4 - Aao padhein aur seekhein
Class 5 - Aao padhein aur khojein
Class 6 - Raashtra Bharati - 1
Class 7 - Raashtra Bharati - 2
Class 8 - Raashtra Bharati - 3
Took Sanskrit in Class 9! :-)
RANI MADAN AMAR MAA,
ReplyDeletePITAJI AAGE DEKHO BANDARWALA,
Aage dekho
DeleteBhalu wala
Aam wala
Bandar wala
Pankh
Mor ka pankh
Woh Bhuli Dastan Lo Fir Yaad Aa
ReplyDeleteGayi.
Nazar Ke Samne Rani AA Gayi.
##Rani Madan Amar
Rani Madan Amar ye wo book jahan se maine padna seekha...shayad year 1970...
ReplyDeleteAgar yaad aara hai to usme ek story thi ' Chichi ' the story of a bird.
रानी मदन अमर बुक का पाठ चाहिए "मोर का पंख "
ReplyDeleteमैंने पहली कक्षा में पढा था।अब मैं 58की हूँ,हिन्दी अध्यापिका।आज अचानक यह किताब आई, गूगल में
ReplyDeleteआपका ब्लॉग मिला. बडी खुशी हुई।
याद आई
ReplyDeleteJarur milegi
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