मैं, बचपन में
आकाश बनना चाहता था ,
तब इसका अर्थ ,
मुझ्रे बताते थे, "पिता"
जब मैं बहुत छोटा था,
अब मैं बड़ा हो गया हूँ ,
आकाश का अर्थ भी, अब, बड़प्पन में बदल गया है,
आकाश का अर्थ अब "अवकाश"
में बदल गया है ,
अब मैं आकाश नही बनना चाहता ,
आकाश के इस अर्थ ने मुझे बदल दिया है ,
मुझे अब आकाश नही बनना है ,
मुझे अब "अवकाश" भी नही बनना है ,
अवकाश का अर्थ है छुट्ठी ,
मैं अभी छुट्ठी नहीं लेना चाहता ,
मुझे अभी छुट्ठी नहीं लेनी ,
छुट्ठी बुजुर्गो को मिलती है
मुझे बुजुर्ग नहीं बनना ,
कर्म के इस रणक्षेत्र में ,
छुट्ठी कैसी,
और जब छुट्ठी के अर्थ को ,
मैं समझना नहीं चाहता ,
तो क्यूँ समझू अवकाश के अर्थ को,
किसलिए मैं बनूँ आकाश ।
आकाश बनना चाहता था ,
तब इसका अर्थ ,
मुझ्रे बताते थे, "पिता"
जब मैं बहुत छोटा था,
अब मैं बड़ा हो गया हूँ ,
आकाश का अर्थ भी, अब, बड़प्पन में बदल गया है,
आकाश का अर्थ अब "अवकाश"
में बदल गया है ,
अब मैं आकाश नही बनना चाहता ,
आकाश के इस अर्थ ने मुझे बदल दिया है ,
मुझे अब आकाश नही बनना है ,
मुझे अब "अवकाश" भी नही बनना है ,
अवकाश का अर्थ है छुट्ठी ,
मैं अभी छुट्ठी नहीं लेना चाहता ,
मुझे अभी छुट्ठी नहीं लेनी ,
छुट्ठी बुजुर्गो को मिलती है
मुझे बुजुर्ग नहीं बनना ,
कर्म के इस रणक्षेत्र में ,
छुट्ठी कैसी,
और जब छुट्ठी के अर्थ को ,
मैं समझना नहीं चाहता ,
तो क्यूँ समझू अवकाश के अर्थ को,
किसलिए मैं बनूँ आकाश ।
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