बुधवार, 26 जून 2013

तू ल्ह्सेगी मैं मह्सूंगा ..!! (PART - 2)

"क्यों, क्या उन्होंने आकर कहा था ये लड्डू खाने के लिए ।"

""नहीं, उन्होंने तो नहीं कहा था, मगर मुझे लगता है की ये लड्डू दुनिया में सबसे पहले उन्होंने ही खाया होगा । अगर वे ये लड्डू नहीं खाते तो मेरी पक्की गारंटी है कि ये दुनिया नहीं होती और जब ये दुनिया नहीं होती नहीं होती तो हम भी ना होते और जब हम नहीं होते तो हमें भी ये लड्डू खाने की तबीयत न करती !" सभी दोस्तों ने हाथ मारते हुए खनकती हुई हंसी से बैठकखाना गुंजा दिया !

एक और दोस्त का मानना था कि शादी का लड्डू वह होता है जो लोहे की एक मोटी-सी बॉल के चारों तरफ बूंदी लगा कर खिलाया गया होता है । जब बूंदी ख़तम हो जाती है तो वह लोहे की बॉल मुंह में फंस कर रह जाती है,
जो न बाहर निकलते बनती है और न गले से नीचे उतरते ! उसका कहना था, "ऐसे में वह जादूगर बहुत याद आता है, जो बहुत सारे कंचे मुंह में डाल कर गटक जाता था और जब सारे कंचे वह गर्दन के पीछे वार करके निकालता था, तब आखिर में लोहे की एक बॉल अटक जाती थी, जिसे बाद में वह निगल जाता था ! अब लगता है उसे ढूंढना ही पड़ेगा । कहूँगा, भईया, शादी के लड्डू की बूंदी ख़तम हो गई है अब ये लोहे की बॉल गले के बीच में फंसी पड़ी है, या तो इसे निकल या गले से निचे उतारने का तरीका बता ! " एक बार फिर हंसी का फव्वारा उस कमरे को नहला गया था !

तीसरे दोस्त के शादी के लड्डू की व्याख्या कुछ यूं नज़र आई !

"न-न .....इसे मेरी कहानी मत समझ लेना ।" कुछ घोंचू सा दिखाई पड़ने वाला वह दोस्त बोला, "एक बार किसी गाँव में एक भोले भले लड़के की शादी हुई ।"

"बिलकुल तेरा जैसा रहा होगा, " एक अन्य दोस्त ने चुटकी ली !

"चल यार, मेरे जैसा ही सही"
"ये क्यों नहीं कहता कि तू ही था, " एक और हंसी !

"अच्छा मैं ही था, लेकिन मैं गाँव में नहीं रहता और ये मैं तुम्हे गाँव के एक भोले-भाले आदमी के बारे में बता रहा हूँ ! उसका इस दुनिया में कोई नहीं था सो गाँव वालों ने सोंचा चलो इसका भी घर बस जाएगा । सो, सारे गाँव वालों ने मिल कर उसकी शादी बराबर वाले गाँव की एक लड़की से करा दी ! एक दिन उस लड़की के भाई की शादी का न्यौता आया ! तब तक उस भोले-भाले के एक बच्चा हो चुका था ! शादी के बाद ले-दे के उसकी के वही रिश्तेदारी थी । शादी में जाने का पहला मौका वह गंवाना नहीं चाहता था ! उसने अपनी पत्नी से बात की, पत्नी भी उसी जैसी भोली-भाली थी । पति उस बच्चे की जिम्मेदारी पत्नी पर डालना चाहता था और पत्नी थी की मानने के लिए तैयार ही नहीं थी, उसके इकलौते भाई की शादी जो थी ! हल कोई निकलता नहीं नज़र आ रहा था ! "

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