आज महंगाई के इस दौर में, जहाँ हंसी की जगह मायूसी और आराम की जगह भागमभाग ने ले ली है, अगर कुछ अच्छा लगता है तो एक ही शब्द - सेल ! जिसे पढने के बाद लगता है महंगाई तो कहीं है ही नहीं । दो खरीदो एक फ्री या एक के साथ एक फ्री या पचास प्रतिशत सेल या दामो में भरी कमी साठ प्रतिशत तक । परन्तु एक सेल वालों ने तो कमाल ही कर दिया । यह "घुमंतू" जब उस सेल तक पहुंचा तो वहां का नजारा देखिये :
स्थान : शहर का एक बैंक्वेट हॉल !
समय : दोपहर के २ बजे !
घुमंतू को इस सेल में घुसने के लिए बाध्य किया वहां बाहर लगे उनके बैनर ने, जिसमे वे आपके पुराने कपड़ों पर ३०० रुपए से लेकर १५०० रुपए तक कम कर रहे थे । दिमाग घूम गया ! आज जगह - जगह नए - नए कोट और पेंट हजार-बारह सौ में मिल रहे हैं, वहीँ ये सेल वाले १५०० रुपए तक हमारे पुराने कोट पेंट पर दे रहे हैं । रहा नहीं गया और अन्दर घुस गया ।
काउंटर पर बैठे व्यक्ति द्वारा अभिनन्दन और फिर शुरू हुई "सेल" ! एक काउंटर से दूसरा और दूसरे से तीसरे पर पहुँचते-पहुँचते जैकेट के काउंटर पर जा पहुंचे । जैकेट एक पसंद आई । परन्तु जब सेल के पैसे पूछे तो जमीन खिसक गयी । ३५०० रुपए की वह जैकेट, जो शायद आम बाजार में ६-७ सौ से ज्यादा की नहीं थी १५०० रुपए काट कर २००० में वे दे रहे थे ।
जब हम वह काउंटर छोड़ने लगे तो वह खड़े सेल्समैन ने हमे बुलाया और कहा कि यदि पुरानी जैकेट नहीं लाये हो तो कोई बात नहीं । ऐसा करो कि २००० में ये जैकेट ले जाओ और जब भी इधर आना हो, अपनी पुरानी जैकेट दे जाना, हमने कौन सी वे अपने पास रखनी है, जरुरतमंदों को पहुंचानी है । कहने कि आवश्यकता नहीं कि एक तीर से दो निशाने लगाये जा रहे थे । सेल के नाम पर आपकी जेब से दुगने पैसे निकल वाये जा रहे थे और धर्मार्थ के नाम पर आपके पुराने कपड़ों को जरुरतमंदों तक पहुँचाया जा रहा था । अब इससे कोई मतलब नहीं था कि जरुरतमंदों तक वे कपडे पहुंचे या नहीं ।
यही हाल कमीजों के स्टाल का था आम बाजार में जो कमीज़ बमुश्किल ४-५ सौ की होती है, इस सेल में वही कमीज़ ११-१२ सौ की थी और आपकी कमीज़ (फटी-पुरानी) के ३०० रुपए कट कर "सेल" के नाम पर ८०० रुपए की दी जा रही थी । मामला यहाँ पर भी वही था की अपनी फटी-पुरानी कमीज़ बेशक से बाद में दे जाना, अभी तो जेब से ८०० रुपए निकल कर ये कमीज़ ले जाओ ।
दो के साथ एक फ्री या एक के साथ एक फ्री का भी यही हाल है । कहने की जरुरत नहीं की वह पहले से ही सामान का दाम दुगुना कर देते है । घुमंतू एक दिन ऐसे ही एक दूकान में फंस गया । जब घुमंतू ने फ्री की कमीज़ के दाम कम करने के लिए कहा तो दुकानदार का बड़ी सफाई के साथ जवाब था : हुजुर, ये लालच तो हम ग्राहक बनाने के लिए दे रहे हैं, वर्ना आज की महंगाई के इस दौर में हम जैसे गरीब दुकानदार ही जानते हैं की घर चलाने के लिए कई बार व्यवसाय को भी लुटाना पड़ जाता है ! बहरहाल, आपकी मर्ज़ी, यदि आप ये फ्री नहीं लेना चाहते तो मत लो, लेकिन इस कमीज़ के दाम इन दोनों कमीजों के दाम में कम नहीं होंगे !
नहीं हो तो ना हों, परन्तु कितनी सफाई से ये सेल और एक के साथ एक फ्री या चार फ्री की स्कीम चल रही हैं सबको जान लेना चाहिए !
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