बुधवार, 26 जून 2013

मुस्कुराहट ..!!

दिल के तारों को छेड़ गई ,
तुम्हारी वह मुस्कुराहट ,
बहार ने पुछा था मुझसे ,
थी किसके आने की यह आहट 
जवाब था मेरा ये शायद ,
तुमने ही तो की थी ये थपथपाहट ,
दिल के तारों को छेड़ गई ,
तुम्हारी वह मुस्कुराहट ,
बहार का ये पूछना दुबारा मुझसे ,
है ये फूलों की ताजगी तुम्हारे कमरे में कैसे ?
सोचता था अब क्या जवाब दूं मैं तुम्हारे आने का !
और क्या - क्योंकि -
हो रही थी मेरे दिल में गुद्बुदाहत ,
दिल के तारों को छेड़ गई ,
तुम्हारी वह मुस्कुराहट ,
अब भी जब याद आता है ,
तुम्हारा वह मुस्कुराना 
तुम्हारे आने से - केवल ,
बहार का आना 
दे जाती है मेरे दिल को केवल एक गुदगुदाहट 
दिल के तारों को छेड़ गई ,
तुम्हारी वह मुस्कुराहट !!

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