सोमवार, 17 जून 2013

स्त्री-पुरुष

स्त्री और पुरुष का झगड़ा चल रहा था । स्त्री का कहना था  कि यदि वह नहीं होती तो इस दुनिया में सुन्दरता का कोई मान नहीं होता जब कि पुरुष का कहना था कि यदि वह नहीं होता तो इस दुनिया का आगे बढ़ाना अकेली स्त्री के लिए बड़ा मुश्किल हो जाता । फैसला क्या होता ? स्त्री और पुरुष दोनों ही हार मानने को तैयार नहीं थे । 

बिखरी लटों के बीच से थोड़े-थोड़े कजरारे नैनों ने पुरुष की पत्थर जैसी चौड़ी छाती के बीच वार किया । और लाल गुलाब जैसी पंखुड़ियों के बीच मुस्कान की एक लहर फैलती चली गई । पुरुष का पत्थर जैसा दिल पिघलने लगा । एक-दुसरे की तरफ बढ़ते हुए स्त्री कह रही थी अगर पुरुष नहीं होता तो उसकी सुन्दरता को नापने के लिए कौन आता ? उधर पुरुष कह रहा था यदि स्त्री नहीं होती तो उसका दिल पत्थर से फूल बनाने के लिए कजरारे नैन और गुलाब जैसी पंखुड़ियों के बीच ये मधुर मुस्कान कहाँ से आती ? 

और दोनों इस लड़ाई को छोड़, एक दूसरे की बाँहों में समाने को आतुर, रजाई ओढ़ चुके थे ।  

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